ऐसा लगता है कि राजनीति में हद की परिभाषा बदलने का ठेका मानों काँग्रेसी नेताओं ने ले लिया है । आये दिन कुछ नये कारनामों से चर्चा में रहने की जद्दोजहद मे आजकल काँग्रेसी लगे हैं । अर्जुन सिंह का बयान इसी कङी का एक हिस्सा है । इससे साफ झलकता है कि काँग्रेस में अग्रगणी नेताओं की कमी तो है हि , साथ-साथ पुराने नेता भी ढपोर-शंखी हो गये हैं । अब खबर मे बने रहने और आलाकमान के स्नेह-पात्र बने रहने के लिए ये नेता किस कदर व्याकुल रहते है ।
राहुल बाबा तो अभी राजनीति की तीपहीया पकङ कर ठीक से खङे भी नहीं हो पा रहे है , और ऐसे नेता जो अपनी राजनैतिक जीवन की अंतिम पारी खेल रहे है , उनको इस देश का बागडोर थामने की बात करते हैं । इनको पता है कि अगर गद्दी पर रहना है तो बिना ऐसी चापलूसी के संभव नहीं । ये सब एक दो दिन मे तो नही सीखा गया है , बर्षों की पाद-प्रछालन के बाद ही इन नेताओं ने यह गुङ सिखा है ।
यह तो मात्र एक शुरुआत है, आने वाले चुनाव की । अब हर छोटे-बङे नेताओं मे एसी होङ सी लग जाएगी । जनता की किसे खबर है ? महंगाई से चाहे जनता मर जाये इनके कानों पर जूँ तक नहीं रेंगने वाली है ।
मंगलवार, 15 अप्रैल 2008
काँग्रेसी नेताओं की चापलूसी
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4 comments:
फ़ाण्ट नहीं दीख रहा भाई.
अतुलजी ,
आपका ध्नयवाद मेरे ब्लौग पर आने के लिये । क्या आप मेरा कोई भी पोस्ट नहीं पढ पा रहे है ।
यही राजनीति है..जनता की फिक्र करेंगे तो चुनाव का क्या होगा भाई?? :)
Very informative, keep posting such good articles, it really helps to know about things.
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