पिछले एक महीने से जो कुछ जम्मू-कश्मीर में हो रहा है , वह एक ही बात बताती है कि कुछ भी हो जाए ये काँग्रेस की सरकार जब तक रहेगी कोई चैन से नहीं रह सकता है । अमन-चैन से ना रहने देने का तो मानों काँग्रेस की सरकार ने ठेका ले रखा है । महंगाई को तो संभाल नहीं पा रही है ये सरकार और आये दिन नई समस्याएँ खङी करती रहती है ।
जम्मू का नाम आते ही बस एक बात ही याद आती है, निर्वासीत और उत्पीङित कश्मीरी पंडित। मझे तो याद भी नहीं कि कभी, जम्मू का नाम पाकिस्तानी आतंकवादीयों के हमले के अलावा समाचारों मे आया भी है । फिर अचानक से अमरनाथ यात्रा के जमीन का विवाद इतना कैसे बढ गया । क्या ये सिर्फ भाजपाइयों या शिव-सैनिको की करतूत है ? ऐसा तो लगता नही क्योकि हर बंद या प्रदर्शन का इतना बङा होना बिना स्थानीय जनता के समर्थन के संभव नहीं है । इसे कहते है अच्छे को उकसा कर बुरा बनाना । क्या जब पाकिस्तानी आतंकवादीयों के दबाव मे आकर काँग्रेसी सरकार ने जमीन को वापस लिया था, तो क्या सोचा था कि इसका कोई असर नहीं होगा ? काँग्रेसी तुष्टिकारी नीतियों का फल क्या पुरा देश आतंकवाद के रुप मे भुगत नहीं रहा है ? जो आये दिन सरकार अपनी लचरता की उद्घोषणा करती रहती है । सरकार अपने फैसले लेने से पहले तो कोइ सर्वदलीय बैठक नहीं की थी, तो अब भाजपाईयो पर दोषारोपन क्यों ? क्या सरकार इतनी कमजोर है कि कुछ भाजपाइयों या शिव-सैनिकों को संभाल नहीं सकती ? या फिर महंगाई और घुसखोरी से ध्यान हटाने की ये एक सोची समझी चाल है ।
जम्मू का नाम आते ही बस एक बात ही याद आती है, निर्वासीत और उत्पीङित कश्मीरी पंडित। मझे तो याद भी नहीं कि कभी, जम्मू का नाम पाकिस्तानी आतंकवादीयों के हमले के अलावा समाचारों मे आया भी है । फिर अचानक से अमरनाथ यात्रा के जमीन का विवाद इतना कैसे बढ गया । क्या ये सिर्फ भाजपाइयों या शिव-सैनिको की करतूत है ? ऐसा तो लगता नही क्योकि हर बंद या प्रदर्शन का इतना बङा होना बिना स्थानीय जनता के समर्थन के संभव नहीं है । इसे कहते है अच्छे को उकसा कर बुरा बनाना । क्या जब पाकिस्तानी आतंकवादीयों के दबाव मे आकर काँग्रेसी सरकार ने जमीन को वापस लिया था, तो क्या सोचा था कि इसका कोई असर नहीं होगा ? काँग्रेसी तुष्टिकारी नीतियों का फल क्या पुरा देश आतंकवाद के रुप मे भुगत नहीं रहा है ? जो आये दिन सरकार अपनी लचरता की उद्घोषणा करती रहती है । सरकार अपने फैसले लेने से पहले तो कोइ सर्वदलीय बैठक नहीं की थी, तो अब भाजपाईयो पर दोषारोपन क्यों ? क्या सरकार इतनी कमजोर है कि कुछ भाजपाइयों या शिव-सैनिकों को संभाल नहीं सकती ? या फिर महंगाई और घुसखोरी से ध्यान हटाने की ये एक सोची समझी चाल है ।
2 comments:
ये भी हो सकता है कि महंगाई से ध्यान हटाने की कांग्रेस की कोशिश हो पर ये नहीं लगता। ये जनता है जो सब जानती है। लेकिन कांग्रेस अपने फंसाए जाल में खुद फंस चुकी है साथ ही पीडीपी ने इसे चारो खाने चित्त कर दिया। सरकार भी गई और नाम भी। हो सके तो आज मेरा पोस्ट पढ़ें और कल जो लिखूंगा वो भी पढ़िएगा। आपके सारे सवालों का जवाब है उनमें।
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