क्रिकेट-जगत में इन दिनों जो कुछ भी चल रहा है , उससे तो बस एक ही बात मन मे आती है कि "क्रिकेट अब सभ्यों का खेल नहीं रहा " । भारत - ऑस्ट्रेलिया सीरीज ने तो इस पर मुहर लगा दी है । हर दूसरे खेल के दौरान कोई-ना-कोई विवाद उठ खङा होता है । इस सीरीज में ऑस्ट्रेलिया के खिलाङीयो का व्यवहार निम्न अस्तर का, पुरा क्रिकेट समुदाय थु-थु कर रहा है , लेकिन इन मद-मस्तों के कान पर जूँ तक नहीं रेंगती ।
यह विवाद क्रिकेट के मुल पहचान को बदल रहा है । अब हर टीम मे स्लोजींग एक अभिन्न अंग बनता जा रहा है । इसे इर्जाद करने वाले ऑस्ट्रेलियन को, यह पैतरा उलटा पङ रहा है । इन सब के बीच भारतीय युवा खिलाङीयो को थोङा सतर्क रहने कि जरुरत है । खेलना मुख्य उद्देश्य रहना चाहीए ।
बुधवार, 27 फ़रवरी 2008
क्रिकेट अब सभ्यों का खेल नहीं रहा
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1 comments:
सही है...अब देखना बंद.
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