आखीर ईद का चाँद निकल ही गया । एक और जानदार प्रदर्शन । सहवाग का खेल देख कर फिर एक उम्मीद जागी है कि सचिन के बाद शायद भारतीय क्रिकेट बल्लेबाजी में कुछ जान बची रहेगी ।
भारतीय क्रिकेट के लिये आज का दिन कई मायनों मे सुनहरा माना जाएगा । आज सहवाग "सर डॉन ब्रैडमैन" और "ब्राइन लारा" के श्रेणी मे शामिल हो गये है , और साथ-साथ अपने टेस्ट मैच मे सार्वाधिक रन भी बनाया है । साहवाग अब एक नया किर्तीमान बनाते हुए , एक ही पारी में दो दोहरे सतकीय साझीदारी मे हिस्सा लेने वाले पहले खिलाङी भी बन गये हैं । इस तीहरे सतक को सबसे कम बौलों मे होने का भी गर्व भी हासिल हो गया है । आज तो ऐसा लग रहा है कि सचिन के बाद , अब सहवाग ने किर्तीमान तोङने की बागडोर संभाल ली है ।
सहवाग की पारी एक रनों कि बौछार से कम नहीं थी , चाहे जो भी साउथ अफ्रिकी गेंदबाज हो सहवाग ने सब की धुनाई की । अगर सहवाग इसी फार्म में बने रहें तो भारतीय क्रिकेट के सुनहरे दिन आने में देर नहीं होगी ।
शुक्रवार, 28 मार्च 2008
सहवाग का कमाल
रविवार, 23 मार्च 2008
क्या आप कलर ब्लाइंड है ? जाँचे
कलर ब्लाइन्डनेश , इस रोग से ग्रसीत लोगों को रंगों के बीच अंतर पता नहीं चलता, जो अन्य लोग पता कर सकते हैं । यह मुख्यतः एक वंशानुगत बीमारी है, लेकिन कुछ लोगों को यह बीमारी आँख या मस्तिष्क के कुछ रासायनिक द्रव्य के संपर्क में आने से भी हो सकता है ।
क्या आप कलर ब्लाइंड है ? नीचे के चित्र में आपको क्या दिख रहा है, 8 या 6 । पुरे क्विज के लिये नीचे के चित्र पर चटकाएँ ।
बुधवार, 19 मार्च 2008
होली है - रंग और गुलालों की होली की शुभकामनाएँ
सभी आगंतुकों को मेरी होली की ढेर सारी शुभकामनाएँ । होली के कुछ गीतों का आनन्द उठाएँ । होली के अवसर पर कुछ पंक्तियाँ ।
होली आई रे, होली आई रे ।
डुबें हैं सब रंग-अबीर में,
सब हैं रंगे प्यार के रंग में ।
मस्ती का त्योहार है आया
सबने है हुङदंग मचाया ।
उठ रहा है रंगों का उबार
सब तरफ मची है रंगों की बौछार।
आओ रंगे प्यार से सब को
बचे ना कोई जाना-अनजाना,
आओ खेलें हिल-मिल के होली
होली आई रे, होली आई रे ।
सोमवार, 17 मार्च 2008
एक माँ ऐसी भी
आज फिर से भ्रूण-हत्या संबंधी एक खबर आई है कि " दिल्ली में एक डॉक्टर ने अपनी पत्नी को घर से निकाल दिया क्यों कि उसकी पत्नी ने जुङवाँ लङकी को जन्म दिया " । दोनों दम्पति डॉक्टर है और सास ससुर भी पढे-लिखे हैं । बहु के माँ बनने की खबर पा कर सास ने जबरदस्ती लिंग जाँच करवाया और जब पता चला की दो लङकीयाँ है , तो पहले पेट मे ही एक को मारने के लिय बात हुई । लेकिन पत्नी तैयार नहीं हुई और दोनो को जन्म दिया , और उसके बाद सबने मिलकर बहु को घर से निकाल दिया ।
यह समाचार पढ कर तो मन मे आक्रोश का उफान भरने लगा । मैने सुना है कि एक माँ ही माँ का दर्द समझ सकती है , तो फिर एक सास अपनी बहु का मन क्यो नही समझ सकती । फिर मन में उस माँ के लिय आदर और सम्मान का भाव उभरा जिसने इन सबके बावजूद बच्चीयों को जन्म दिया । ऐसी माँ तू धन्य है ।
गुरुवार, 13 मार्च 2008
राहुल गाँधी और भारत की खोज - राजनैतिक जरुरत या देश प्रेम
आजकल काँग्रेसी नेताओं में सरगर्मी आ गयी है ? इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं । चुनाव की बू सबसे पहले काँग्रेसी नेताओं से ही फैलती है , कम-से-कम ६० सालों तक देश पर राज कर इनता तो सीख ही गए हैं । और अब इस पाठशाला मे एक और कथीत युवा नेता ने नाम लिखाया है, " राहुल गाँधी " । इसी पाठशाला से राहुलजी सीखें हैं कि चार साल तक चाहे लाखों किसान आत्महत्या कर ले, कोई भारत भ्रमण कि जरुरत नहीं, बस जैसे ही चुनावी बिगुल बजे निकल पङो पद-यात्रा के बहाने राजनैतिक रोटी सेकने।
राहुलजी पिछले कुछ हफ्तों से भारत खोज पर निकलें हैं । शायद पिछले चार सालों में भारत किताबों में खोज रहे थे , और जब कुछ हाथ नही लगा तो निकल पङे , जंगल-झाङ में भारत खोजने । अगर दो-तीन साल पहले शुरु करते तो कुछ खोज पाते, मगर अब तो समय कम हैं और भोली-भाली जनता को अपना मुखङा दिखाने का इससे अच्छा समय नहीं । चुनाव में कम समय हैं और इतनी जल्दी लोग भुलेंगे भी नहीं , कम से कम उङीसा पुलिस तो नहीं भुलेगी जो पहले से नक्सलीयों से भीङी हुई है, और झेल रहे हैं बिन-बुलाये मेहमान को। अभी उङीसा की सरकार के नाक में दम कर रखा है , अगला शिकार मध्य-प्रदेश और फिर जाने कौन-कौन । रात की चुपचाप मुलाकात का तो सिर्फ एक ही मकसद हो सकता है मीडीया कवरेज । राहुलजी सोच रहे होंगे काश नकस्लीयों के हाथ लग जाता तो और अच्छा मीडीया कवरेज मिलता , दो तीन हफ्तों तक तो सुर्खीयों में रहता हीं ।
कभी अपनी पार्टी को बदले की माँग , तो कभी कोयला कंपनी का विरोध और अब एक नया सगुफा किसानों की ऋण माफी उत्पादकता पर हो। लगता है कोई ढोस मुद्दा हाथ नहीं लगा है । राहुलजी ६०,००० करोङ का दिखावा कम पङ गया था क्या ? जो अब नया राग अलाप रहे हैं , या फिर पता चल गया की लोग ६०,००० करोङ के झाँसे में नहीं आ रहे है । भगवान बचाये इन राजनीति के नौसिखियों से।
बुधवार, 12 मार्च 2008
कृषि ऋण माफी : एक मृग तृष्णा ?
२००८ के केंन्द्रीय बजट मे भारत सरकार के ६०,००० हजार करोङ के ऋण माफी की घोषणा के बाद, सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक पटल पर एक द्वन्द सा प्रारंभ हो गया है । लोगो के बीच इस बजट कि आलोचना और प्रसंशा कि होङ सी मच गई है । एक तरफ यह बजट कुछ लोगों के लिए खुशीयाँ ले कर आया है तो दुसरी तरफ, उदास और मायुस किसान जिनको सरकारी बैंको से लोन नही मिला और आखिर में साहुकारों के चंगुल में फसें । ऐसे किसानो की संख्या दो तीहाई से भी ज्यादा है । और साथ मे वो किसान , जो पाई-पाई जमा कर के बैंको का ऋण चुकाए, और अब पछता रहे हैं ।
सरकार ने ऋण माफी का एलान सिर्फ २ हेक्टेयर से कम जमीन वाले किसानो के लिए की है, जिनके लिए ऋण मिलना ही बङी बात होती है । दलालों और बैंक के बाबुओं को चढावा के बिना एक रुपया का ऋण भी नहीं मिलता । बीजेपी की दलील माने तो ऐसे ऋण २३,००० करोङ से ज्यादा नही है, तो फिर इतना ढिंढोरा क्यों ? इसके साथ-साथ ये ऋण माफी किसानों तक कब पहुँचेगी इसका जिक्र वित्त-मंत्रीजी ने नहीं किया है, और ना ही ये बता रहे हैं कि बैंको को हो रहे घाटो से कैसे उबारेंगे । लगता है कि वी.पी.सिंह की सरकार से कोई सबक लेने को काँग्रेस की सरकार तैयार नहीं है, जब १०,००० करोङ के ऋण माफी के बाद कई सहकारी बैको का दिवालीया निकल गया था ।
अगर काँग्रेस की सरकार सही में किसानो का भला चाहती है तो, किसानो को उचित मुल्य पर खाद और बीज के प्रबंध , आनाज के समर्थन मुल्य, उन्नत खेती के तरीकों को किसान तक पहुचाने पर विचार करना चाहिए, ना की ऐसे चुनावी ढकोसलों पर ध्यान देना चाहिए ।
सोमवार, 10 मार्च 2008
हॉकी का अंत ?
ब्रिटेन ने भारत को 0-2 से हॉकी क्वालिफाइंग मैच मे हरा कर, ओलंपिक के सपने को ध्वस्त कर दिया । वैसे भी क्रिकेट के बढते प्रभाव से , हॉकी पिछङ रहा है , और उपर से ये हार । भारतीय खेल-प्रेमीयों के लिये ये एक बङे सदमे से कम नहीं ।
भारतीय हॉकि संघ को इस पर गंभीर आत्म-मंथन करने कि जरुरत है । हॉकी कोच का इस्तीफा तो शायद इस समस्या कि एक झलक मात्र है । टीम की आंतरीक कलहों का समाचार तो हमें आये दिन मिलता रहता है । इन सब से खिलाङीयों का मनोबल तो गीरता है, उनके खेल पर भी असर पङता है ।
अब जरुरत है कि सभी पक्षों को साथ में बैठ कर इस पर विचार करना पङेगा । हॉकी के गौरवशाली इतिहास को बचाए रखने के लिये , एक सम्यक प्रयास ही कारगर साबित हो सकता है ।
- It was very useful for me. Keep sharing such ideas... - 8/29/2017 - GST Courses Delhi
- I certainly agree to some points that you have dis... - 10/26/2017 - Learn Digital Marketing
- आप की बात सही है लेकिन कईं घरों मे आज की मोड कहलान... - 3/17/2008 - परमजीत सिहँ बाली
- यह साले सब मरासी हे,नोटंकी बाज ( मरासी एक जात हे ज... - 3/14/2008 - राज भाटिय़ा
- Very informative, keep posting such good articles,... - 1/15/2018 - GST Refunds Delhi